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टोक्यो: पूरी दुनिया जहां एक ओर कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण से जूझ रही है. वहीं जापान (Japan) समय से किए गए सख्त उपायों की वजह से अब तक महामारी से बचा हुआ है. लेकिन वह इन दिनों एक दूसरे खतरे से जूझ रहा है. वहां पर लोग कोरोना के बजाय आत्महत्या (suicide) से ज्यादा मर रहे हैं.
जापान की National Police Agency की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक वहां पर अक्टूबर में जितने लोग कोरोना (Coronavirus) से नहीं मरे. उससे ज्यादा मौतें लोगों के सुसाइड (suicide) करने से हो गई. जापान में अकेले अक्टूबर में 2153 लोगों ने जीवन से निराश होकर मौत को गले लगा लिया. वहीं जापान (Japan) में कोरोना महामारी से अब तक 2087 लोगों की मौत हुई है.
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लोगों में बढ़ रहा है Lockdown इफेक्ट
मौतों के इस बढ़ते आंकड़ों को कोरोना महामारी की वजह से लोगों में बढ़ती निराशा को बड़ा कारण बताया जा रहा है. लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से खुद को बचाने में तो कामयाब रहे हैं. लेकिन लॉकडाउन इफेक्ट की वजह से वे मानसिक तनाव का शिकार होने से खुद को नहीं बचा पा रहे हैं.
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जापान में दो बार लगा हल्का लॉकडाउन
जापान (Japan) सरकार कोरोना पर नियंत्रण के लिए अब तक दो बार लॉकडाउन लगा चुकी है. मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक भारत, इटली, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की तुलना में जापान में लगाए गए लॉकडाउन उतने सख्त नहीं थे. ऐसे में माना जा रहा है कि जब जापान में इतनी मौतें हुई हैं तो बाकी देशों में इससे ज्यादा मौते हुई होंगी. हालांकि बाकी देशों का आंकड़ा अभी तक सामने नहीं आया है.
काम के लंबे घंटे बढ़ा रहे हैं लोगों में टेंशन
जापान (Japan) के मनोचिकित्सकों के मुताबिक वहां पर सुसाइड के बढ़ते मामलों का एकमात्र कारण केवल कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण नहीं है बल्कि काम के लंबे घंटे और परिवार की जिम्मेदारियों के साथ तालमेल न बिठा पाने से उनमें तनाव बढ़ रहा है. इसके अलावा सामाजिक दूरी की वजह से दोस्तों-रिश्तेदारों से मुलाकात न होने और जीवन अंधकारमय दिखने से भी उनमें आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं.
महिलाओं में ज्यादा बढ़ रही है सुसाइड की प्रवृति
जापान के अधिकारी इस बात पर हैरत में हैं कि पिछले साल सुसाइड के मामलों में तेजी से गिरावट आई थी. लेकिन इस साल कोरोना की वजह से ये तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. जिससे सरकार चिंता में है. डेटा की स्टडी में ये भी पता चला है कि सुसाइड (suicide) करने वालों में ज्यादा संख्या महिलाओं की है. माना जा रहा है इसका कारण जापान में महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लंबे समय तक नजरअंदाज करना रहा है. जिससे उनमें जीवन के प्रति निराशा घर करती जा रही है. इसके अलावा कम बजट में घर चलाने की टेंशन, बच्चों और परिवार की सेहत के प्रति चिंता भी उनमें बढ़ रही है.
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