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नई दिल्ली: बच्चों पर कोरोना की तीसरी लहर का खतरा सबसे ज्यादा बताया जा रहा है और यही वजह है कि भारत में बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक सितंबर तक भारत में कोरोना की वैक्सीन आ सकती है और इसके ट्रायल तेजी से चल रहे हैं. लेकिन अन्य देशों में बच्चों पर तीसरी लहर का असर भयावह असर देखने को मिल रहा है.
100 से ज्यादा बच्चों की मौत
इंडोनेशिया में बीते एक हफ्ते के दौरान ही 100 से ज्यादा बच्चों की संक्रमण की चपेट में आने के बाद जान चली गई जिससे तीसरी लहर का खतरा और बढ़ गया है. मरने वाले बच्चों में कई की उम्र तो पांच साल से भी कम बताई जा रही है. बच्चों की मृत्यु दर यहां सबसे ज्यादा है जिसने डॉक्टरों की ओर से बच्चों पर कोरोना के कम असर वाले दावे के सामने चुनौती पेश की है.
मनी कंट्रोल की खबर के मुताबिक इंडोनेशिया में इतनी बड़ी तादाद में बच्चों की मौत से कोहराम मच गया है और स्थानीय लोग इसे सरकार की विफलता बता रहे हैं. लोगों में गुस्सा है कि सरकार की ओर से तीसरे लहर के खतर को देखते हुए पहले से तैयारियां क्यों नहीं की गईं.
डेल्टा वेरिएंट बना वजह!
स्थानीय डॉक्टर अमन पुलुगन ने बताया कि हमारे आंकड़े दुनिया में सबसे ज्यादा हैं, बच्चों की मौत लगातार हो रही है लेकिन हम अपने बच्चों के लिए बेहतर इंतजाम क्यों नहीं कर पाए. साउथ ईस्ट एशिया में बच्चों की मौत के बढ़ते मामलों की पीछे डेल्टा वेरिएंट को वजह माना जा रहा है साथ ही इन मुल्कों में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया भी धीमी चल रही है.
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इंडोनेशिया दुनिया का चौथा सबसे ज्यादा आबादी वाला मुल्क है लेकिन भारत और ब्राजील को पीछे छोड़ वहां संक्रमण में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है. शुक्रवार के आंकड़ों के मुताबिक देश में करीब 50 हजार मामले और 1500 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. इंडोनेशिया ही नहीं, थाईलैंड, मलेशिया, म्यांमार और वियतनाम जैसे मुल्कों में भी संक्रमण के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है.
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