[ad_1]
ढाका: बांग्लादेश (Bangladesh) प्रशासन ने रोहिंग्या शरणार्थियों (Rohingya Refugees ) को लेकर अहम फैसला किया है. इसके तहत शुक्रवार को 1,500 से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों के पहले समूह को एक दूरदराज के द्वीप पर भेजना शुरू कर दिया गया.
यहां बता दें कि मानवाधिकार समूह (Humanitarian Groups) बार-बार इस प्रक्रिया को रोकने की मांग कर चुके हैं.
वहीं इस द्वीप पर फिलहाल जो आवास बनाए गए हैं, वहां 1,00,000 लोग रह सकते हैं, जो कि लाखों रोहिंग्या मुस्लिमों (Rohingya Muslims) के हिसाब से बेहद कम संख्या है.
एक अधिकारी ने बताया कि 1,642 शरणार्थी भाषण चार द्वीप पर जाने के लिए चटगांव बंदरगाह से सात पोतों में सवार हुए. स्थानीय नियम के अनुसार इस अधिकारी का नाम जाहिर नहीं किया जा सकता है.
यह द्वीप मानसून के महीने में नियमित तौर पर डूब जाता था लेकिन यहां अब बाढ़ सुरक्षा तटबंध, घर, अस्पताल और मस्जिदों का निर्माण 11.2 करोड़ डॉलर की लागत से बांग्लादेश (Bangladesh) की नौसेना ने किया है.
US के राष्ट्रपति Joe Biden की टीम में शामिल हुआ एक और भारतीय-अमेरिकी, मिली ये जिम्मेदारी
यह इलाका मुख्य क्षेत्र से 34 किलोमीटर दूर है और केवल 20 साल पहले ही सामने आया था. इससे पहले यहां कभी आबादी नहीं रही है.
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि शरणार्थियों को स्वतंत्र तरीके से यह फैसला लेने की अनुमति दी जाए कि वे बंगाल की खाड़ी के द्वीप पर जाना चाहते हैं या नहीं.
बता दें कि रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमार में हिंसक उत्पीड़न के बाद भागकर बांग्लादेश आए थे और ये यहां अभी शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं.
[ad_2]
Source link