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महेश पारिक/जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने राज्य सरकार को कहा है कि सरकार को प्लेसमेंट एजेंसी (Placement Agency) के जरिए संविदाकर्मियों को नियुक्ति देने की प्रक्रिया नहीं अपनानी चाहिए. अदालत इस संबंध में पहले ही कई बार निर्देश दे चुकी है. इसके बावजूद सरकार लगातार प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए नियुक्तियां दे रही है.
कोर्ट ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 309 और 310 के भी विपरीत है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता संविदाकर्मी को पद पर बने रहने के संबंध में दिए स्टे को हटाने से इनकार कर दिया है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश अमित कुमार शर्मा की याचिका में राज्य सरकार की ओर से पेश प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए दिया.
अदालत ने कहा कि प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए संविदा पर नियुक्ति देने में किसी तरह की प्रक्रिया काम में नहीं ली जाती. वहीं, आरटीपीपी (RTPP) एक्ट के प्रावधानों को प्लेसमेंट एजेन्सी को नियुक्तियां देने के काम नहीं लिया जा सकता. अदालत ने राज्य सरकार के स्टे हटाने के प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता संविदाकर्मी को अपने पद पर काम करने की छूट जारी रखी जाती है. हालांकि, यदि वह कोई दुराचरण करें तो राज्य सरकार उस पर विभागीय कार्रवाई कर सकती है.
राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता भरतपुर में संविदाकर्मी के तौर पर कार्यरत है. उसके खिलाफ शिकायत होने पर सरकार ने प्लेसमेंट एजेन्सी को उसे हटाकर दूसरे कर्मचारी को लगाने को कहा. लेकिन हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को हटाने पर रोक लगा दी.
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