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अरुण श्रीवास्तव/मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड (Muzaffarpur Shelter Home) में सीबीआई (CBI) द्वारा चार्जसीट के बाद साकेत कोर्ट दिल्ली द्वारा सजा सुनाए गए अभियुक्तों में से एक की तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में मौत हो गई. जानकारी के अनुसार, मृतक रामानुज ठाकुर उर्फ मामू तिहाड़ जेल नंबर 3 में कैद था.
मृतक रामानुज ठाकुर बालिका गृह कांड के मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर का रिश्ते में मामा लगता था. रामानुज ठाकुर की उम्र लगभग 70 वर्ष बताई जा रही है. मृतक रामानुज ठाकुर ब्रजेश ठाकुर द्वारा संचालित अखबार के वेंडर के रूप में कार्य करता था. चूंकि अखबारों में भी ब्रजेश ठाकुर का बड़ा खेल था. साथ ही सैकड़ों में अखबार का प्रिंटिंग होती था और उसका सर्कुलेशन बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जाता था. इसलिए ब्रजेश अपने मामा रामानुज को सरकारी दफ्तरों में अखबारों की प्रति के वितरण के लिए रख रखा था.
बताया जा रहा है कि मुजफ्फरपुर जिला पुलिस जब तक महिला थाना में दर्ज FIR की अनुशंधान की, तब तक रामानुज ठाकुर पुलिस की पकड़ से बाहर था. सीबीआई ने जब चर्चित बालिका गृह कांड में तफ्तीश शुरू किया तो एक एक कर दर्जन से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए, उसी में से एक रामानुज ठाकुर था, जिसके बारे में पीड़ित के द्वारा कुछ साक्ष्य बयान के तौर पर दिया गया था.
सीबीआई ने 21 आरोपियों के खिलाफ पास्को कोर्ट (POCSO Court) में चार्जशीट दायर किया था, जिसमें पेज 2 से 23 के बीच रामानुज ठाकुर का नाम भी था. सीबीआइ के एसपी देवेंद्र सिंह की ओर से दिसंबर 2018 को विशेष पॉक्सो कोर्ट में सभी 21 आरोपितों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल की गई थी.
सभी को IPC की धारा 323, 325, 341, 354, 376 सी व 34 एवं पॉक्सो एक्ट 2012 की धारा 4, 6, 8, 10, 12 व 17 के तहत आरोपित किया गया था जिसमे एक रामानुज ठाकुर भी था. आरोपों के समर्थन के लिए सीबीआइ ने 102 गवाहों के साक्ष्य लिए थे. इसमें बालिका गृह की पीड़ित 33 लड़कियां शामिल थी.
ब्रजेश ठाकुर बालिका गृह का वास्तविक मालिक था और वही बालिका गृह का संचालन करता था. एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति का वह कार्य पालक निदेशक पद पर था. इसी एनजीओ के माध्यम से बालिका गृह का संचालन होता था. उस पर बालिका गृह की लड़कियों के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया गया है. इसमें उसके साथ रवि रोशन व रामानुज ठाकुर उर्फ मामू सहित बालिका गृह के अन्य कर्मचारी व सहयोगी थे.
जानकारी के अनुसार, वह अन्य आरोपितों के साथ मिलकर लड़कियों को गंदे भोजपुरी गानों पर डांस करने को विवश करता था. वह लड़कियों को दूसरे के पास के भेजकर गंदे काम करवाता था. विरोध करने वाली लड़कियों के अंगों को लक्षित कर पिटाई करता था. इसके साथ सीबीआई अन्य पर भी आरोप सत्य पाया था. रामानुज ठाकुर के मौत के बाद तिहाड़ जेल से परिजनों को सूचना दी गई.
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