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महाराष्ट्र: कोरोना (Corona) महामारी के दौरान जहां स्कूल, कॉलेज बंद रहे वहीं माहाराष्ट्र के एक प्राइमरी टीचर (Maharastra Teacher) ने इस आपदा को अवसर में बदल दिया. महाराष्ट्र के रणजीत सिंह डिसले को शिक्षा (Education) के क्षेत्र उनके योगदान के लिए ‘ग्लोबल टीचर प्राइज’ से सम्मानित किया गया है. इस सम्मान के साथ ही उन्हें 10 लाख डॉलर यानी 7.38 करोड़ रुपये की धनराशी भी दी गई. पुरस्कार की घोषणा के साथ ही रणजीत ने इनाम की आधी राशि 10 उप-विजेताओं के साथ बांटने का ऐलान भी कर दिया है. कोरोना की महामारी के बीच गांव के बच्चों को पढ़ाई जारी रखने और लड़कियों को शिक्षा सुनिक्षित करने के लिए इन्हें ये पुरस्कार मिला है.
शिक्षा के क्षेत्र में किए कई बड़े काम
इस इनाम की राशि जितनी बड़ी है इसके पीछे उतनी ही कड़ी मेहनत है. 32 साल के रणजीत ने साल 2009 में महाराष्ट्र (Maharastra) के सोलापुर जिले के पारितेवादी गांव के प्राइमरी स्कूल से शिक्षा में बदलाव की शरुआत की, जहां उन्होंने घर-घर जाकर उन बच्चों को इकट्ठा किया जिनके माता पिता को उन्हें पढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं थी. इससे इनके क्षेत्र में बाल-विवाह में कमी देखने को मिली.
क्या है ‘ग्लोबल टीचर प्राइज’?
ग्लोबल टीचर प्राइज (Global Teacher Prize) पुरस्कार वार्की फाउंडेशन की तरफ से अयोजित किया जाता है, जिसमें दुनिया भर से उन टीचर्स को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में खास योगदान दिया हो.
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और किस-किस को मिला अवार्ड?
रणजीत के अलावा 140 देशों से करीब 12000 शिक्षकों ने इस पुरस्कार के लिए नामांकन भरा था. जिसमें से ब्रिटेन के एक शिक्षक जेमी फ़्रॉस्ट को मुफ़्त में गणित की ट्यूशन के वेबसाइट चलाने के लिए स्पेशल कोविड हीरो का पुरस्कार दिया गया.
सीएम उद्धव ठाकरे ने दी बधाई
ग्लोबल टीचर प्राइज जीतने पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thakre) ने रणजीत डिसले को बधाई दी. डिसले का कहना है कि वो इनाम में पाई गई इस राशि का इस्तेमाल शिक्षा के सुधार में लगाएंगे. महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने भी महाराष्ट्र के इस शिक्षक को ट्वीट (Tweet) कर बधाई दी.
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