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नई दिल्लीः हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम में बढ़ोतरी की खबरों पर इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI ने बयान जारी किया है. IRDAI ने कहा है कि अक्टूबर से लागू हुए हेल्थ इंश्योरेंस standardization के नियमों में एक्सक्लूजन रही बीमारियों को शामिल करने के लिए IRDAI ने मौजूदा पॉलिसी में 5 परसेंट तक बेस प्रीमियम बढ़ाने या घटाने की छूट दी थी. 30 सितंबर तक हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े 388 प्रोडक्ट्स में से 55 प्रोडक्ट्स में 5 परसेंट तक प्रीमियम बढ़ाया है और 30 नवंबर तक सिर्फ पांच हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स में ही 5 परसेंट से ज्यादा प्रीमियम में बढ़ोतरी हुई है.
अब मिलने लगा है ये फायदा
बीमा नियामक इरडा के निर्देश को अमल में लाते हुए कई बीमा कंपनियों ने स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम का मासिक, त्रैमासिक और छमाही विकल्प देना शुरू किया है. बीमा विशेषज्ञों का कहना है कि यह विकल्प उन लोगों के लिए अच्छा है जो नकदी संकट का सामना कर रहे हैं. वह मासिक प्रीमियम भुगतान का विकल्प चुन सकते हैं लेकिन इससे लगात बढ़ जाती है.
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भुगतान के लिए 15 दिन का ग्रेस पीरियड
मासिक प्रीमियम भुगतान विकल्प में बीमा कंपनियां सात या 15 दिन का ही ग्रेस पीरियड देती है. इसके बीच में प्रीमियम जमा नहीं करने पर पॉलिसी लैप्स हो जाती है. वहीं, दूसरी ओर बीमा कंपनी आईटी इंफ्रा और दूसरे खर्चों की लागत बढ़ने के एवज में सालाना प्रीमियम के मुकाबले अधिक पैसा वसूलती है. हालांकि, पॉलिसी के तहत मिलने वाले लाभ में कोई बदलाव नहीं होता है.
क्लेम प्रॉसेस भी पेचीदा
स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम का मासिक भुगतान में क्लेम का प्रॉसेस भी पेचीदा है. इरडा के निर्देश के अनुसार, अगर कोई उपभोक्ता मासिक प्रीमियम का भुगतान करता है तो बीमा कंपनी बकाया प्रीमियम की राशि को काट कर दावे का भुगतान करेगी.
इरडा ने उपभोक्ताओं को राहत दी थी
भारतीय बीमा नियामक प्राधिकरण (इरडा) ने कोरोना महामारी के बीच स्वास्थ्य बीमा की खरीदारी किस्तों में उपलब्ध कराने का निर्देश बीमा कंपनियों को दिया था. इरडा ने मासिक, तिमाही, छमाही या फिर सालाना आधार पर स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के प्रीमियम का भुगतान का विकल्प मासिक, तिमाही, त्रैमासिक या फिर सालाना आधार पर करने को दिया था. इसके बाद बीमा कंपनियों ने इसकी शुरुआत की है.
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