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ग्वालियरः पुलिस द्वारा लोगों पर जुर्माना लगाने के बारे में तो आपने अक्सर सुना होगा. लेकिन मध्य प्रदेश में ग्वालियर हाईकोर्ट ने इसके विपरीत फैसला सुनाया है, जिसमें पुलिस को उल्टा पीड़ित युवक को जुर्माने की राशि भरना होगी. दरअसल, ग्वालियर पुलिस ने अरुण शर्मा नाम के दुकानदार को गिरफ्तार करने के बाद सोशल मीडिया पर उसकी फोटो शेयर की थी, जिसमें युवक को इनामी आरोपी बताया था.
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HC में किया केस
सोशल मीडिया पर फोटो शेयर करने से युवक को मानसिक पीड़ा हुई. उसने अपने वकील की मदद से हाई कोर्ट में पुलिस कर्मियों के खिलाफ याचिका दायर कर दी. हाई कोर्ट ने केस की सुनवाई करते हुए युवक को सही पाया और सोशल मीडिया पर उसकी फोटो पोस्ट कर मानसिक प्रताड़ना देने के जुर्म में दो SI (सब इंस्पेक्टर) और एक सिपाही को दोषी करार दिया. अदालत ने दोषी पुलिस वालों पर 5 लाख का जुर्माना लगाया है, जिसमें 2 लाख रुपये शासन तो 3 लाख रुपये पुलिस कर्मियों और सिपाही को भरने होंगे. जुर्माने की पूरी राशि पीड़ित युवक को दी जाएगी.
ये हैं पूरा मामला
ग्वालियर के बहोड़ापुर थाना क्षेत्र में रहने वाले अरुण शर्मा किराए की दुकान में डिपार्टमेंडल स्टोर चलाते थे. उनके मकान मालिक ने थाने में शिकायत की थी कि अरुण ने पिछले कई दिनों से किराया नहीं चुकाया है. बोलने पर दुकान भी खाली नहीं कर रहे हैं. जिसके बाद पुलिस ने एक्शन लेते हुए दुकान का सामान बाहर निकालकर दुकान खाली करवाई और अरुण शर्मा के खिलाफ जबरन कब्जे का मामला दर्ज कर लिया.
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सोशल मीडिया पर 5000 का इनामी बताया
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए फोटो शेयर की थी, जिसमें अरुण शर्मा को 5000 का इनामी आरोपी बताया गया था. आहत पीड़ित ने HC में याचिका दायर की थी कि सामान्य केस होते हुए भी उसे इनामी आरोपी बताकर उसकी प्रतिष्ठा धूमिल की गई है.
लोकायुक्त में दर्ज होगा मामला
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि पुलिस गिरफ्तारी के बाद आरोपियों की फोटो सोशल मीडिया में प्रकाशित नहीं करेगी. क्योंकि गिरफ्तारी होने के बाद व्यक्ति दोषी साबित नहीं हो जाता है. ऐसी परिस्थिति में उसकी पहचान को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए. हाई कोर्ट ने एसआई और सिपाही पर जुर्माना लगाते हुए उनके खिलाफ लोकायुक्त में मामला दर्ज करने के निर्देश भी दिए हैं.
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